जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में “बाघ सफारी” पर लगा बैन
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विश्व प्रसिद्ध उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघ सफारी पर बैन लगा दिया है।
बुधवार को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि “यह साफ है कि राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण योजना संरक्षित इलाकों से परे वन्यजीव संरक्षण की जरूरत को पहचानती है। ” आदेश के बाद, अब केवल जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के परिधीय और बफर जोन में बाघ सफारी की छूट दी जाएगी। अदालत ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद को भी फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को चिड़ियाघर में फेंक दिया गया है” इसके अलावा कोर्ट ने महाभारत के एक उदाहरण का हवाला देते हुए ने कहा, “बाघ के बिना जंगल नष्ट हो रहे हैं और इसलिए सभी बाघों की रक्षा करनी चाहिए। हम टाइगर सफारी की अनुमति दे रहे हैं, लेकिन यह फैसले में जारी हमारे निर्देशों के अधीन होगा। मौजूदा मामले में साफ है कि तत्कालीन वन मंत्री ने खुद को कानून से परे माना था और यह दर्शाता है कि किशन चंद ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को कैसे हवा में उड़ा दिया था। इससे पता चलता है कि राजनेता और नौकरशाह कानून को किस तरह से अपने हांथ में लेते हैं.”
बता दें कि अफ्रीका के तर्ज पर ही कॉर्बेट पार्क के पाखरों क्षेत्र में टाइगर सफारी का निर्माण शुरू हुआ था। जिसमे पूर्व में हुए पेड़ों के कटान मामले के सामने आने के बाद इस पर रोक लग गयी थी।वही आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर वैन लगा दिया है।
वहीं लंबे समय से कॉर्बेट पार्क में टाइगर सफारी की मांग कर रहे नगर के मंडल अध्यक्ष मदन जोशी ने कहां कि टाइगर सफारी को कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर में खोला जाना चाहिए,उन्होंने कहाँ कि वहां ना ही पेड़ काटने की जरूरत पड़ेगी क्योकि उस क्षेत्र में प्रयाप्त मात्रा में पार्क के पास खाली जमीन है।
वही इस मामले में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक डॉ धीरज पांडे ने कहा कि नया टाइगर कंसर्वेसन प्लान हम लोग तैयार कर रहे है जिसमे इन सभी पहलुओं का हम अध्ययन करेंगे और इसका समावेश इन टाइगर कंसर्वेवेसन प्लान में जरूर किया जाएगा।