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अंदर की बात: मंगलौर उपचुनाव में सीनियर आईपीएस अफ़सर का साथ आया काम

रिपोर्ट: पिंकी कश्यप, अरुण कश्यप।

सूबे के मुखिया के आग्रह पर जिले के पूर्व कप्तान रहे एक सीनियर आईपीएस अफसर ने मंगलौर उपचुनाव में पूरी सियासत ही बदल डाली।
सूत्रों की माने तो सूबे के मुख्यमंत्री ने आईपीएस अफ़सर से मंगलौर उपचुनाव में उनका साथ मांगा। आईपीएस अफसर ने भी सूबे के मुखिया का पूरा साथ दिया और जिस मंगलोर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा 25,000 से अधिक वोटो से पीछे रही।
वहीं, मंगलोर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को इस बार 30,000 से अधिक वोट मिल गए। जिससे कांग्रेस और अन्य दल सकते में आ गए। इस सीट पर इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब भाजपा और कांग्रेस में काँटे की टक्कर रही।
वहीं, कुछ लोग इसका श्रेय भाजपा नेताओं के सिर पर सज़ा रहे हैं। लेकिन वास्तव में हकीकत कुछ और ही है।
पूरा खेल एक काबिल आईपीएस अफसर का है। जिसने मंगलौर उपचुनाव में भाजपा का वोट बैंक बढ़ाने के लिए अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा डाला, सूत्रों की माने तो इस अधिकारी ने अपने समर्थकों सहित चुनाव के दौरान तीन दिन तक मंगलौर में प्रवास भी किया।
जिसका सफल परिणाम भी देखने को मिला। मंगलौर उपचुनाव में जहां भाजपा हज़ारों वोटों से पीछे रहती थी इस बार कांग्रेस की जीत का अंतर केवल 500 वोटो से भी नीचे रहा ।
हालांकि कुछ लोग इस बढ़त को कुछ भाजपा नेताओं के सिर का ताज भी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन आपको बता दें कि दो माह पूर्व जब लोकसभा चुनाव हुए थे उस समय तो इन उप चुनाव से भी ज्यादा इन नेताओं ने यहां एडी टेडी का जोर लगाया था लेकिन उसका परिणाम उन्हें 25000 से अधिक वोटो से फिसड्डी रहकर भी भुगतना पड़ा था ,
इस आईपीएस अधिकारी का इस पूरे क्षेत्र में इतना प्रभाव है कि उनकी वजह से इस क्षेत्र के दलित और मुस्लिम वोट कमल के नीचे आ गए इस आईपीएस अधिकारी की पत्नी भी पिछले लंबे समय से संपूर्ण जनपद में कई प्रकार के समाज सेवी कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है।

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